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मैं मुसाफिर हूं |
मैं मुसाफिर हूं, आया हूं, चला जाऊंगा
एक दिन लौटके तेरे दर पे कभी आऊंगा
जिंदगी ने मुझे गम देकर उदास किया
पर तुझे देखकर फिर से मैं मुस्कुराऊंगा
मेरे खातिर तू न दरवाजे पे खड़े रहना
क्या खबर कि मैं जाने कब आ पाऊंगा
साथ जीने की कसम मैं नहीं खाता हूं कभी
मैं तो तन्हा हूं, तन्हा ही जीए जाऊंगा